छत्तीसगढ़ में रहने वाला लड़का दूल्हा बनकर यूपी के फर्रुखाबाद के देवरन गढ़िया अपनी दुल्हन को लेने पहुंचा था। लेकिन उसे खाली हाथ वापस लौटना पड़ा।
बारात का दुल्हन की पिता ने स्वागत सत्कार किया। धूमधाम से वरमाला की रस्म भी निभाई गई। दूसरे रिवाज भी खुशी-खुशी निभाए गए। लेकिन सात फेरे के वक्त दुल्हन ने शादी से इंकार कर दिया।
दोनों पक्ष दुल्हन को मनाने जुट गए। लेकिन दुल्हन नहीं मानीं। उसने किसी की भी नहीं सुनी ये जानते हुए भी कि लड़के की सैलरी अच्छी खासी है और वो सिविल इंजीनियर है।
दुल्हन को मनाने के लिए दूल्हे ने पे स्लिप फोन पर मंगाकर दुल्हन पक्ष को दिखाई। जिसमें उसकी सैलरी 1.20 लाख रुपए था। बावजूद इसके वो नहीं मानीं।
पंचायत बैठने के बाद तय हुआ कि दोनों पक्षों का जो भी खर्च हुआ है वह आपस में लेनदेन कर लें। इसके बाद बारात वापस लौट गई। सरकारी नौकरी नहीं होने की वजह से दूल्हा बिना शादी घर लौट आया।
शादी के दौरान दोनों पक्ष को हर चीज ट्रांसपेरेंट रखनी चाहिए। इस केस में दूल्हे के नौकरी का स्टेटस सरकारी बताया गया था, लेकिन जब सच सामने आया तो नतीजा कुछ ऐसा रहा।