बच्चे झगड़े और तनाव को आसानी से महसूस कर लेते हैं। भले ही वो पूरी बात ना समझें। माता-पिता को लड़ता देख बच्चे चिंतित, डरे हुए या दुखी महसूस कर सकते हैं,जिससे उनका मनोबल गिर सकता है।
लगातार लड़ाई-झगड़े देखकर बच्चे माता-पिता में से किसी एक या दोनों से नाराज हो सकते हैं। इससे उनके और माता-पिता के बीच रिश्तों में दूरी आ सकती है।
माता-पिता के झगड़ों का बच्चों की मेंटल हेल्थ पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। यह तनाव, डिप्रेशन या व्यवहार संबंधी समस्याओं की वजह हो सकती है।उनके पर्सनालिटी डेवलपमेंट पर असर हो सकता है।
बच्चे वही व्यवहार सीखते हैं, जो वे अपने माता-पिता को करते देखते हैं। अगर वे बहस और झगड़े को समस्या हल करने का तरीका मान लेंगे, तो वे अपने रिश्तों में भी ऐसा ही व्यवहार करेंगे।
माता-पिता के झगड़े से बच्चे परिवार की स्थिरता को लेकर असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। उन्हें लग सकता है कि माता-पिता अलग हो सकते हैं या उनका घर सुरक्षित नहीं है।
अक्सर बच्चे माता-पिता के झगड़ों का कारण खुद को मान लेते हैं। इससे उनका आत्मसम्मान कम हो सकता है और वे खुद को दोषी महसूस कर सकते हैं।
बच्चे अपने घर के माहौल से सीधे प्रभावित होते हैं। घर में तनावपूर्ण माहौल उनकी पढ़ाई और स्कूल परफॉर्मेंस पर निगेटिव असर डाल सकता है।
बच्चों के सामने लड़ाई करने से उनके माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रिश्तों में दूरी आ सकती है। इससे बच्चे खुद को अकेला महसूस कर सकते हैं।