आचार्य चाणक्य के अनुसार, परिवार या समाज में जो व्यक्ति केवल अपने स्वार्थ की ही चिंता करता है और दूसरों की भावनाओं की कद्र नहीं करता, उसे धीरे-धीरे त्याग दिया जाता है।
जो लोग दूसरों को नुकसान पहुंचाने में रुचि रखते हैं, उनका भी परिवार और समाज से बहिष्कार किया जाता है।
चाणक्य कहते हैं कि जो लोग लगातार झूठ बोलते हैं और धोखा देने की आदत रखते हैं, उन्हें भी परिवार से अलग कर दिया जाता है। झूठ बोलना और धोखा देना संबंधों में दरार डालता है।
जो लोग हमेशा निगेटिव सोचते हैं और दूसरों को भी प्रेरित करते हैं ऐसे लोगों का भी त्याग कर देना चाहिए।ये लोग ना सिर्फ अपना नुकसान करते हैं बल्कि समाज के लिए भी ठीक नहीं होते हैं।
जो लोग मेहनत से बचते हैं और अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं करते हैं। उनका त्याग कर दिया जाता है। ऐसे व्यक्ति परिवार और समाज के लिए बोझ बन जाते हैं।
चाणक्य के अनुसार, परिवार या समाज में जो व्यक्ति केवल अपने स्वार्थ की ही चिंता करता है और दूसरों की भावनाओं की कद्र नहीं करता, उसे धीरे-धीरे परिवार और समाज से दूर कर दिया जाता है।
पिशुनः श्रोता पुत्रदारैरपि त्यज्यते। जो व्यक्ति अपने ही परिवार के साथ विश्वासघाती करता है, उसके पुत्र, पत्नी और परिवार के अन्य लोगों द्वारा त्याग कर दिया जाता है।