मां बनते समय अपना और होने वाले नवजात शिशु के हाईजीन का खास ख्याल रखें। बार-बार हाथ धोते रहें। साथ ही ब्रेस्ट फीडिंग के वक्त ब्रेस्ट को अच्छी तरह पोछें।
औरतों में मूड स्विंग्स बहुत आम हैं। हॉर्मोनल बदलाव होते वक्त ध्यान रखें कि ये सिर्फ एक फेज है और कुछ दिनों बाद आप वापस पहले जैसी हो जाएंगी।
मां,सास या मोहल्ले की कोई आंटी, हर कोई आपको बताएगा कि बच्चे को कैसे पालना चाहिए। ऐसे में जो आपको सही लगे, वही करिए।
बच्चा जब दिन में सोए तो मां अपनी नींद पूरी कर ले। बच्चे की देखभाल के लिए जरूरी है कि मां भी पूरी तरह से आराम कर स्वस्थय रहे।
बच्चा शुरुआत में मां के दूध पर निर्भर होता है। ऐसे में जरूरी है कि मां अपने खाने में न्यूट्रिशन का ध्यान रखे। ताकि बच्चे को हेल्दी मिल्क मिले।
हर कुछ-कुछ घंटों में हमेशा डाइपर चैक करते रहें। अगर बच्चे ने डाइपर गीला कर दिया है तो रैशेज आने और इंफेक्शन से पहले उसे बदल दें।
बच्चे को नींद से जगाकर दूध नहीं पिलाना चाहिए। लेकिन बच्चे को दूध पिए हुए 4 घंटे से ज्यादा होने पर उसे जगाकर भी पिलाना पड़े तो भी जरूर पिलाएं। खाने का शेड्यूल बनाना बहुत जरूरी है।
ब्रेस्टफीडिंग से आपके शरीर में ऑक्सीटॉसिन हॉर्मोन रिलीज होता है। इससे आपका शरीर रिलैक्स होता है।