वैसे तो बाघ का नाम सुनते या देखते ही बदन में सिरहन पैदा हो जाती है। उसका विशालकाय शरीर और हिंसक प्रवृत्ति से इंसान डरते हैं।लेकिन थाइलैंड में एक ऐसी जगह है जहां बाघ शांति प्रिय है।
Image credits: Tiger Temple Thailand/instagram
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मंदिर में आते हैं देश-दुनिया के पर्यटक
थाइलैंड के इस मंदिर में देश दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं। यहां के बाघ पर्यटकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। लोग उनके पास जाते हैं टच करते हैं प्यार करते हैं।
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मंदिर का क्या है नाम?
इस मंदिर का नाम कंचनबरी और यह बैंकॉक से 140 किमी दूरी पर स्थित है। यह मंदिर बौद्ध धर्म का है। यहां के बौध भिक्षु बाघों की देखभाल करते हैं।हालांकि अब यहां पर बाघ रखना मना हो गया है।
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टाइगर टेंपल कब बना
टाइगर टेंपल की स्थापना 1994 में की गई थी। कहा जाता है कि 1999 में गांव के लोगों ने बौद्ध भिक्षु को बाघ का छोटा बच्चा लाकर दिया था, क्योंकि उसकी मां को तस्करों ने मार दिया था।
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बौद्ध भिक्षुक पालने लगे टाइगर
बौद्ध भिक्षुक उन्हें बच्चे की तरह पालने लगे। गांव वाले बाघों के बच्चों को बचाकर यहां ले आते और यहां छोड़कर चले जाते थे। मंदिर में बाघों के अलावा हिरण, मोर, शेर समेत कई जानवर थे।
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बाघ ने कभी नहीं पहुंचाया नुकसान
यहां पर बाघों को बौद्ध भिक्षु पास बैठाकर खिलाते-पिलाते थे। खेलते थे। श्रद्धालुओं के साथ भी खेलते थे। कभी भी इन्होंने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया।
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मंदिर से बाघों को किया गया हटाया गया
मई 2016 में, थाईलैंड वन्यजीव संरक्षण कार्यालय ने बाघों को यहां से हटाने का काम शुरू कर दिया। अब इस मंदिर में बाघ नहीं पाले जाते हैं।