8 अक्टूबर को इंडियन एयरफोर्स डे है। भारतीय वायुसेना को मुख्य रूप से चीन और पाकिस्तान से चुनौती मिलती है। फाइटर जेट हो या पायलटों का अनुभव IAF चीनी वायुसेना से आगे है।
IAF के पास सात कमांड हैं। वहीं, PLAAF के पास पांच कमांड हैं। IAF के जवानों की संख्या करीब 1.40 लाख है। वहीं, PLAAF के पास 3.30 लाख सैनिक हैं।
PLAAF के पास 2,700 से अधिक विमान हैं। इसमें से 2000 फाइटर जेट हैं। वहीं, IAF के पास 1,700 विमान हैं। इनमें से 900 लड़ाकू विमान है।
हिमालय के ऊंचे इलाके में लड़ाई हो तो भारत की स्थिति मजबूत है। सीमा के पास भारत के एयरबेस हैं जहां से हर तरह के मौसम में लड़ाकू विमानों को पूरी क्षमता से उड़ाया जा सकता है।
भारतीय सीमा के पास चीन के एयरबेस तिब्बत में हैं। अधिक ऊंचाई पर होने के चलते चीनी विमान पूरी क्षमता के साथ यहां से ऑपरेट नहीं हो सकते। खराब मौसम भी चुनौती देता है।
भारतीय वायुसेना के पास राफेल और सुखोई 30 एमकेआई जैसे अत्याधुनिक और ताकतवर लड़ाकू विमान हैं। चीन के पास राफेल का कोई जवाब नहीं है।
चीनी के पास पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट J-20 है, लेकिन इसकी स्टील्थ क्षमता को लेकर सवाल हैं। PLAAF के पास J-10B/C, J-11B, J-16 और Su-30 जैसे चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं।
भारतीय वायुसेना के राफेल लड़ाकू विमान चीन के J10, J11 और Su-27 जैसे लड़ाकू विमानों पर भारी पड़ते हैं। इसके साथ ही चीनी सीमा के पास सुखोई -30MKI को भी तैनात किया गया है।
भारतीय वायुसेना के पास AH-64E अपाचे और प्रचंड जैसे खतरनाक अटैक हेलीकॉप्टर हैं। ऊंचे पहाड़ी इलाकों में प्रचंड का कोई मुलाबला नहीं है। वहीं, PLAAF के पास Z-10 अटैक हेलीकॉप्टर है।
एयर डिफेंस के लिए चीन और भारत दोनों ने रूस से एस- 400 सिस्टम खरीदा है। भारत के पास आकाश और स्पाइडर समेत कई अन्य एयर डिफेंस सिस्टम भी हैं।