17 दिसंबर को लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन के लिए 129वां संविधान बिल पेश किया गया। पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इसे सदन में रखा।
वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब देशभर में एक साथ लोकसभा, विधानसभा और निकाय के चुनाव कराना। मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के लिए एक दिन, एक समय वोट करें।
वन नेशन वन इलेक्शन रिपोर्ट में 7 देशों की चुनावी प्रक्रियाओं का रिसर्च किया गया है। इनमें स्वीडन, बेल्जियम, जर्मनी, जापान, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया और फिलिपिंस शामिल हैं।
राजनीतिक मामलों के जानकारों का मानना है कि केंद्र के लिए पीएम मोदी मजबूत चेहरा हैं। ऐसे में अगर लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ होते हैं तो बीजेपी को इसका फायदा मिल सकता है।
जानकारों का कहना है कि पीएम मोदी के मजबूत चेहरे के भरोसे एक देश, एक चुनाव में बीजेपी का लोकसभा के साथ उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में अच्छा फायदा मिल सकता है।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि लॉन्ग टर्म में देखा जाए तो कांग्रेस समेत विपक्षी दलों को वन नेशन वन इलेक्शन का फायदा हो सकता है, जिनके पास कोई राष्ट्रीय स्तर का बड़ा नेता हो।
थिंक टैंक IDFC इंस्टीट्यूट की एक स्टडी के अनुसार, लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होने पर करीब 77% वोटर्स दोनों चुनावों में एक ही पार्टी को वोट करते हैं।
IDFC इंस्टीट्यूट की स्टडी के अनुसार, लोकसभा-विधानसभा चुनावों में 6 महीने का अंतर होने पर एक ही पार्टी को वोट देने की संभावना 77% से घटकर 61% हो जाती है