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क्या है AQI? वायु प्रदूषण से इंसान की सेहत पर होता है ये असर

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दिल्ली के लोगों का घुट रहा दम

दिल्ली में वायु प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि लोगों का दम घुट रहा है। AQI (Air Quality Index) 500 पर पहुंच गया है। जानें यह AQI क्या है और इसके बढ़ने का सेहत पर क्या असर होता है।

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AQI से पता चलती है हवा की गुणवत्ता

AQI हवा की गुणवत्ता मापने की प्रणाली है। इसमें ग्राउंड-लेवल ओजोन, पार्टिकुलेट मैटर (PM), कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड को मापा जाता है।

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0 से 100 AQI है सुरक्षित

AQI जितना कम होगा हवा उतनी साफ होगी। हवा जितनी दूषित होगी AQI संख्या बढ़ती जाएगी। 0 से 100 AQI को इंसान के लिए सुरक्षित माना जाता है।

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AQI 500 से अधिक तो हो सकती है बीमारी

AQI 100 से अधिक हो तो खतरा है। अगर यह 200 से ऊपर हो तो इंसान की सेहत के लिए गंभीर जोखिम है। अगर यह 500 से ऊपर है तो सांस संबंधी बीमारी हो सकती है।

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फेफड़ों के माध्यम से शरीर घुस जाते हैं जहरीले कण

AQI अधिक है तो हवा में मौजूद खतरनाक रसायन और कण फेफड़ों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इससे विभिन्न अंग प्रभावित होते हैं।

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फेफड़ों का कैंसर होने का रहता है खतरा

ऐसा होने पर हल्की जलन, सिरदर्द, नाक बंद होना और त्वचा की समस्या हो सकती है। दूषित हवा में लंबे समय तक रहने से अस्थमा, सीओपीडी और फेफड़ों का कैंसर तक हो सकता है।

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फेफड़ों से खून में चले जाते हैं अल्ट्रा-फाइन पार्टिकुलेट मैटर

अल्ट्रा-फाइन पार्टिकुलेट मैटर (0.1 माइक्रोन से छोटे) फेफड़ों से खून में चले जाते हैं। ये छोटे कण फेफड़ों के साथ ही दिल, दिमाग, किडनी और अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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गर्भवती महिलाओं को रहता है अधिक जोखिम

बहुत अधिक AQI वाले इलाके में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को अधिक जोखिम होता है। उनके गर्भ में पल रहे भ्रूण का विकास इससे प्रभावित हो सकता है।

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