प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली शराब नीति केस में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अरेस्ट कर लिया है। गुरुवार को दो घंटे की पूछताछ के बाद रात 9 बजे यह कार्रवाई ED टीम ने की।
जानकारों के मुताबिक, कोर्ट की अनुमति से किसी कानूनी कार्यवाही यानी जमानत याचिका या लीगल असिस्टेंट के लिए वकील के जरिए विचाराधीन कैदी किसी दस्तावेज पर साइन कर सकते हैं।
जानकारों का कहना है कि ऐसा नहीं हो सकता है कि किसी मंत्रालय की फाइल पर कोई मुलाकात करने आए और दस्तखत करवा ले। जेल में रहते सीएम ऐसा करते हैं तो वह दस्तावेज अवैध माने जाएंगे।
दिल्ली जेल मैनुअल के हिसाब से जेल में बंद अरविंद केजरीवाल ही नहीं किसी भी कैदी को हफ्ते में दो बार अपने रिश्तेदारों-करीबियों से 30 मिनट के लिए एक साथ 3 लोगों से मिलने की अनुमति है।
इस मैनुअल के अनुसार, वकील को छोड़कर कोई भी अनलिमिटेड मुलाकात नहीं कर सकता है। ऐसे में संभावना नहीं है कि कोई मुख्यमंत्री जेल में बंद हो तो उन्हें कई बार मुलाकातों का लाभ मिलेगा।
जेल मैनुअल के हिसाब से जेलर अपने विशेषाधिकार से एक दो ज्यादा मुलाकातों की छूट दे सकता है। आमतौर पर जेलर ऐसे फैसले कम ही करते हैं, क्योंकि इसकी डिटेल्स कोर्ट को बतानी पड़ती है।
अगर दिल्ली की जेल में बंद जेलर किसी को एक्स्ट्रा मुलाकात का मौका देता है और कोर्ट को लगता है कि उसने गैरजरूरी मुलाकात करवाई है तो उस पर भी एक्शन हो सकता है।