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मोदी के लिए कितने भरोसेमंद हैं नीतीश-नायडू, क्या कहता है इतिहास

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बहुमत से दूर रह गई BJP की मजबूरी

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को बहुमत नहीं मिलने के बाद अब उसे NDA सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनानी होगी।

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NDA गठबंधन में किंगमेकर की भूमिका में चंद्रबाबू और नीतीश कुमार

गठबंधन में BJP के बाद नायडू की TDP और नीतीश की JDU के पास सबसे ज्यादा सीटे हैं। लेकिन क्या ये दोनों सहयोगी भरोसेमंद हैं, जानते हैं?

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नीतीश-नायडू के पास कुल 28 सीटें

नायडू और नीतीश के पास कुल 28 सीटे हैं। वहीं बीजेपी के पास 240 सीटे हैं। बहुमत का आंकड़ा 272 का है। यानी तीनों को मिलाकर 268 होता है। बाकी दूसरे साथियों से मिलकर बहुमत होगा।

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NDA के लिए कितना भरोसेमंद है नीतीश-चंद्रबाबू का रिकॉर्ड?

वैसे, चंद्रबाबू और नीतीश कुमार NDA गठबंधन के साथ ही रहने की बात कह चुके हैं। लेकिन ये दोनों पूर्व में भी इसका हिस्सा रहे हैं और इनका ट्रैक रिकॉर्ड कितना भरोसेमंद हैं, जानते हैं।

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मोदी के साथ उतार-चढ़ाव भरे रहे दोनों के रिश्ते

नायडू और नीतीश दोनों ही NDA का साथ छोड़ चुके थे और चुनाव से ठीक पहले गठबंधन में लौटे हैं। मोदी के साथ नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू दोनों के ही रिश्ते उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं।

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2009 के चुनाव में नीतीश ने मोदी को प्रचार करने से रोका था

नीतीश कुमार को हमेशा डर बना रहता था कि मोदी के साथ रहने पर उनके वोटर छिटक जाएंगे। इसलिए 2009 के चुनाव के दौरान नीतीश कुमार ने बिहार में मोदी को प्रचार करने से रोका था।

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मोदी के PM पद का उम्मीदवार बनते ही नीतीश ने छोड़ दिया था NDA

मोदी से नीतीश कुमार की तकरार तब और बढ़ गई, जब 2013 में BJP ने नरेन्द्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया। इसके बाद तो जून 2013 में नीतीश ने NDA से किनारा कर लिया।

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NDA छोड़ने की नीतीश को चुकानी पड़ी थी भारी कीमत

नीतीश ने कहा कि उन्हें गठबंधन से अलग होने के लिए मजबूर किया गया। बाद में नीतीश 2014 का लोस चुनाव अकेले लड़े और JDU को इसका नतीजा भुगतना पड़ा।

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NDA छोड़ लालू के साथ मलाई खाते रहे नीतीश कुमार

नीतीश ने 2015 का विस चुनाव लालू यादव की RJD के साथ लड़ा। लेकिन 2 साल में ही पलटी मार दोबारा NDA में आ गए। कुछ दिन साथ रहने के बाद अगस्त 2022 में उन्होंने फिर RJD के साथ सरकार बनाई।

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जनवरी, 2024 में पलटी मारते हुए फिर NDA में शामिल हुए नीतीश बाबू

वहीं, जनवरी 2024 में नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटी मारते हुए RJD का साथ छोड़ा और दोबारा NDA गठबंधन में शामिल हो गए।

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चंद्रबाबू नायडू भी NDA के लिए बहुत ज्यादा विश्वसनीय नहीं

चंद्रबाबू नायडू भी NDA के लिए बहुत ज्यादा विश्वसनीय नहीं हैं। 2018 तक उनकी पार्टी एनडीए का हिस्सा थी। फिर नायडू की पार्टी ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया था।

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गठबंधन से अलग होने पर मोदी ने नायडू को कहा था 'यूटर्न बाबू'

गठबंधन से अलग होने पर खुद पीएम मोदी ने नायडू को 'यूटर्न बाबू' कहा था। कहा जाता है कि मोदी दोबारा नायडू को NDA में नहीं चाहते थे। लेकिन एक्टर पवन कल्याण दोनों को करीब लाए।

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