कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यूपी की रायबरेली सीट से 3.90 लाख और केरल की वायनाड सीट से 3.64 लाख वोटों से चुनाव जीता है। उन्हें किसी एक सीट पर ही रहना होगा।
संविधान के अनुच्छेद 101(2) के मुताबिक, 2 सीटों से चुने जाने बाद जनप्रतिनिधि को परिणाम आने के 14 दिनों के अंदर एक सीट से इस्तीफा देना होगा। ऐसा न करने पर दोनों सीट खाली मानी जाएगी।
18 जून तक राहुल गांधी को अपना फैसला चुनाव आयोग को लिखित में बताना होगा। 4 जून को प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल पर उन्होंने दोनों वोटर्स को धन्यवाद दिया और कहा अभी फैसला नहीं लिया है
1952 से गांधी फैमिली रायबरेली सीट जीत रही है। माना जा रहा कि राहुल रायबरेली नहीं छोड़ेंगे। क्योंकि यहां से भावात्मक जुड़ाव है। इस सीट को छोड़ने से यूपी की जनता में गलत मैसेज जाएगा।
एक्सपर्ट का कहना है, दिल्ली का रास्ता यूपी से जाता है। इस बार 80 में 2 सीट जीत कांग्रेस को उम्मीद मिली है, ऐसे में अपना जड़ मजबूत रखना चाहेंगे। इससे पार्टी को मजबूत बना सकते हैं।
2026 में केरल विधानसभा चुनाव है, ऐसे में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता का यहां सांसद होने का फायदा हो सकता है। अगर राहुल वायनाड छोड़ देते हैं तो वहां की जनता को गलत मैसेज जाएगा।
अगर राहुल वायनाड छोड़ते हैं तो यह सीट IUML को भी देनी पड़ सकती है। वायनाड छोड़ने दक्षिण का किला सुरक्षित नहीं रहेगा और रायबरेली का क्रेडिट अखिलेश यादव के हिस्से चला जाएगा।
एक्सपर्ट का कहना है कि केरल को दक्षिण का द्वार कहा जाता है। यहां से बाकी राज्यों को कांग्रेस साध सकती है। ऐसे में राहुल गांधी वायनाड की सीट छोड़कर कोई रिस्क नहीं लेना चाहेंगे।
एक्सपर्ट्स का मानना है-अगर राहुल वायनाड छोड़ते हैं तो यहां से प्रियंका गांधी उपचुनाव में उतर सकती हैं। यह सीट कांग्रेस के लिए सेफ है। ऐसे में कांग्रेस का दबदबा भी यहां बना रहेगा।