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कारगिल के Unsung Heroes- 'ये दिल मांगे मोर' कहकर अमर हो गए

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लेफ्टिनेंट बलवान सिंह

लेफ्टिंनेंट बलवान सिंह को टाइगर हिल का टाइगर कहा जाता है। 25 साल के बलवान सिंह ने 12 घंटे लगातार ट्रैकिंग करके टाइगर हिल पर कब्जा किया। उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

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कैप्टन विक्रम बत्रा

कैप्टन विक्रम बत्रा को द्रास का टाइगर कहा जाता है। कारगिल हीरो के नाम से मशहूर बिक्रम बत्रा ने शहादत दी लेकिन कारगिल पर कब्जा किया। बत्रा ने ही ये दिल मांगे का नारा दिया।

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नायक दिगेंद्र कुमार

कारगिल की तोलोलिंग की पहाड़ी पर कब्जा करने के लिए नायक दिगेंद्र कुमार ने शानदार काम किया। करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर तिरंगा फहराने का काम किया।

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ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव

सबसे कम उम्र में परमवीर चक्र से सम्मानित योगेंद्र सिंह यादव को राष्ट्रीय गर्व कहा जाता है। 12 जुलाई 1999 को तोलोलिंग पर कब्जे के लिए सबसे बड़ा अभियान चलाया।

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लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय

गोरखा रायफल्स के लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय कारगिल युद्ध में बहुत ही साहसिक भूमिका निभाई। इन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

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राइफलमैन संजय कुमार

कारगिल युद्ध के दौरान राइफलमैन संजय कुमार ने टॉप ऑफ प्वाइंट 4875 पर कब्जे की घनघोर लड़ाई लड़ी। कुमार ने लगातार फायर करके दुश्मन के दांत खट्टे कर दिए।

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लेफ्टिनेंट किशिंग क्लिफोर्ड नॉगरम

कारगिल के टॉप हिल प्वाइंट मुश्कोह वैली पर कब्जे की लड़ाई में नॉगरम ने अदम्य साहस का परिचय दिया। उन्होंन 6 दुश्मनों को ताबड़तोड़ ढेर कर दिया और आगे बढ़ते गए।

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मेजर विवेक गुप्ता

राजपूताना राइफल्स के मेजर विवेक गुप्ता द्रास सेक्टर में 13 जून 1999 को चार्ली कंपनी को लीड कर रहे थे। उन्होंने अपने साहस के दम पर अपने ग्रुप को लीड किया और सफलता दिलाई।

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कैप्टन एन केमगुरुसे

घातक प्लाटून के साथ 28 जून 1999 को कैप्टन एन केमगुरुसे ने द्रास सेक्टर के ब्लैक रॉक में ऑपरेशन विजय का संचालन किया। वीरता के साथ लड़ाई लड़ी थी।

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मेजर सौरभ कालिया

कारगिल के काकसार सेक्टर में बजरंग पोस्ट के पास मेजर सौरभ कालिया और उनका ट्रूप पाकिस्तान सेना से घिर गया था। पाकिस्तानी सेना ने मेजर को 24 दिनों तक टॉर्चर किया।

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