सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन से जुड़े 10 दुर्लभ तथ्य जानिए जन्मदिन की सच्चाई, इंग्लैंड में लॉ की सफलता, IAS की स्थापना और प्लेन क्रैश से बचने तक, भारत के लौह पुरुष के अनकहे किस्से।
भारत की एकता के शिल्पकार और लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन साहस, दृढ़ता और देशभक्ति से भरा था। आइए जानें उनके जीवन के 10 दुर्लभ और कम चर्चित तथ्य।
क्या आप जानते हैं? सरदार पटेल ने अपनी जन्मतिथि खुद तय की थी। स्कूल की मैट्रिक परीक्षा के दौरान उन्होंने 31 अक्टूबर 1875 की तारीख यूं ही लिख दी और वही आज जन्मदिन मानी जाती है।
29 मार्च 1949 को जयपुर से 65 किमी दूर शाहपुरा के पास पटेल का विमान तकनीकी खराबी के कारण अचानक उतारा गया। यह घटना उनकी हिम्मत और शांत स्वभाव का उदाहरण मानी जाती है।
पटेल ने इंग्लैंड के मिडिल टेम्पल में 36 महीने का लॉ कोर्स सिर्फ 30 महीनों में पूरा कर अपनी क्लास में टॉप किया। बिना कॉलेज अनुभव के यह उपलब्धि अपने आप में ऐतिहासिक थी।
1928 के बारडोली सत्याग्रह में महिलाओं ने उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि दी, जिसका अर्थ होता है ‘नेता’। यह सम्मान उनके नेतृत्व और जनसेवा के प्रति समर्पण का प्रतीक बन गया।
1946 में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में 16 में से 13 राज्यों ने पटेल का समर्थन किया था। लेकिन गांधीजी के कहने पर उन्होंने नेहरू के लिए मार्ग छोड़ दिया- यह त्याग आज भी चर्चा में है।
स्वतंत्र भारत में प्रशासनिक स्थिरता लाने के लिए पटेल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की नींव रखी। उन्हें ‘सिविल सेवकों का संरक्षक संत’ भी कहा जाता है।
गुजरात में फैली महामारी के दौरान उन्हें ब्यूबोनिक प्लेग हो गया था। खुद को मंदिर में आइसोलेट कर उन्होंने साहसपूर्वक बीमारी को मात दी-यह घटना उनके अदम्य जज़्बे की मिसाल है।
जहां लोग किशोरावस्था में मैट्रिक पास कर लेते हैं, वहीं पटेल ने 22 साल की उम्र में यह परीक्षा उत्तीर्ण की। यह दिखाता है कि दृढ़ निश्चय उम्र से बड़ा होता है।
2018 में गुजरात में उनके सम्मान में 182 मीटर ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ बनाई गई। यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है, जो भारत की एकता और लौह पुरुष के अद्भुत योगदान की याद दिलाती है।