सुप्रीम कोर्ट जल्लीकट्टू को अनुमति देने वाले कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने इसकी वैधता को बरकरार रखा है।
तमिलनाडु और महाराष्ट्र का पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू 2000 साल पुराना है। इसे अनुमति देने के लिए दोनों राज्यों ने कानून बनाए हैं।
जल्लीकट्टू खेल में जीत के लिए जांबाज अपनी जान दांव पर लगाते हैं। उन्हें सबसे अधिक देर तक बैंल को पकड़े रहना होता है।
जानवरों की सुरक्षा के लिए काम करने वाली संस्था पेटा ने 2014 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसके बाद इसपर रोक लगाई गई थी।
जल्लीकट्टू पर लगी रोक के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे थे। तमिलनाडु और महाराष्ट्र ने कानून बनाकर इसके आयोजन को स्वीकृति दी थी।
जल्लीकट्टू के दौरान हादसे होते हैं। सांडों को पकड़ने की कोशिश में युवक घायल होते हैं। कई बार तो मौत तक हो जाती है।
जल्लीकट्टू 2000 साल से खेला जा रहा है। इसमें भीड़ बेकाबू और गुस्सैल सांडों को पकड़कर गिराने की कोशिश करते हैं।