Puja Vrat Katha
नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन एक जरूरी परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर इच्छा पूरी करती हैं। आगे जानिए कब करें कन्या पूजन और संपूर्ण विधि…
कन्या पूजन के लिए पहले कन्याओं को उनके घर जाकर निमंत्रण देकर आएं। कम से कम 9 कन्याओं को जरूर बुलाएं। साथ में एक छोटे बालक को भी भोजन के लिए आमंत्रित करें।
जब कन्याएं घर आ जाएं तो उन्हें माता का रूप मानकर उचित स्थान पर बैठाकर भोजन करवाएं। भोजन में खीर या हलवा जरूर होना चाहिए। ये दोनों भोग देवी को विशेष प्रिय है।
जब सभी कन्याएं भोजन कर लें तो उन्हें किसी ऊंचे स्थान जैसे कुर्सी आदि पर बैठाकर उनके पैर पूजें। इसके लिए पहले कन्याओं के पैर धोएं और उन पर महावर या मेहंदी लगाएं।
मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।
जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि।
पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते।।
पैर पूजन करने के बाद कन्याओं को तिलक लगाएं और चुनरी ओढ़ाएं। इसके बाद सभी कन्याओं को कुछ उपहार जरूर दें। इसके बाद कन्याओं को घर के दरवाजे तक ससम्मान छोड़ें।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो व्यक्ति नवरात्रि में कन्या पूजन करवाता है, उसे अपने जीवन में कभी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती और घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।
कन्या पूजन नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर किया जाता है। इस बार नवरात्रि की अष्टमी तिथि 22 अक्टूबर को और नवमी तिथि 23 अक्टूबर को है। दोनों दिन कन्या पूजा की जा सकेगी।
22 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:26 से शाम 06:44 बजे तक रहेगा। 23 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:27 से शाम 05:14 तक रहेगा। ये समय कन्या पूजन के लिए श्रेष्ठ है।