उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट आज यानी 12 मई, रविवार को खुल चुके हैं। ये स्थान हिंदुओं के प्रमुख 4 धामों में से भी एक है। जानें इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक फैक्ट्स…
बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु की जो प्रतिमा है, उसके बारे में कहते हैं कि ये श्रीहरि की उन 8 प्रतिमाओं में से एक है, जो स्वंय प्रकट हुई हैं। यहीं भगवान ने तपस्या भी की थी।
ये स्थान सालों से हिंदुओं की आस्था का केंद्र है लेकिन बद्रीनाथ धाम को आदि गुरु शंकराचार्य ने 9वीं शताब्दी में स्थापित किया। उन्होंने ही अलकनंदा नदी से बद्रीनाथ की मूर्ति निकाली थी।
जब भगवान विष्णु यहां तपस्या कर रहे थे, तब देवी लक्ष्मी ने बेर के वृक्ष के रूप में उनके ऊपर छाया की थी। बेर को बद्री भी कहा जाता है, इसलिए इस स्थान का नाम बद्रीनाथ पड़ा।
बद्रीनाथ मंदिर में 6 महीने ही दर्शन होते हैं। अक्षय तृतीया के बाद इसके कपाट खोले जाते हैं तो इसके लिए 3 चाबियों का उपयोग होता है। ये चाबियां अलग-अलग लोगों के पास होती है।
भगवान बद्रीनाथ का अभिषेक तिल के तेल से करने की परंपरा है, जो टिहरी राज परिवार देता है। बद्रीनाथ टिहरी राज परिवार के आराध्य हैं। मंदिर की एक चाबी इनके पास भी होती है।