उत्तराखंड के बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान से की जाती है, लेकिन यहां शंख बजाने की मनाही है। इसके पीछे कई कारण है। जानिए इन कारणों के बारे में…
उत्तराखंड के चमोली में स्थित बद्रीनाथ मंदिर 4 धामों में से एक है। ये मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान नर-नारायण ने तपस्या की थी।
बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन सिर्फ गर्मियों में होते हैं क्योंकि शीत ऋतु में ये स्थान बर्फ से ढंका रहता है। मंदिर में भगवान बद्रीनारायण की आलौकिक और दिव्य प्रतिमा स्थापित है।
बद्रीनाथ मंदिर में भगवान की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है, लेकिन यहां शंख बजाने की मनाही है। इस परंपरा के पीछे धार्मिक, प्राकृतिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हैं।
मान्यता के अनुसार, माता लक्ष्मी इस स्थान पर तुलसी रूप में ध्यान कर रही हैं। शंख बजाने से उनका ध्यान भंग न हो, इसलिए बद्रीनाथ मंदिर में पूजा के दौरान शंख नहीं बजाया जाता।
मान्यता है कि जब देवताओं ने शंखचूर्ण राक्षस का वध किया तब भी यहां मां लक्ष्मी ध्यान मग्न थीं। तभी भी भगवान विष्णु ने अपना विजय शंख नहीं बजाया था। यही परंपरा आज भी जारी है।
बद्रीनाथ मंदिर पहाड़ों पर स्थित है। शंख बजाने से उत्पन्न कंपन पहाड़ों से टकराकर प्रतिध्वनि पैदा कर सकता है, जिससे हिमस्खलन हो सकता है। इसलिए यहां शंख नहीं बजाया जाता ।