अपने बेटे के साथ किस उम्र में कैसा व्यवहार करना चाहिए?
Spiritual Jul 15 2024
Author: Manish Meharele Image Credits:freepik
Hindi
कैसा व्यवहार करें पुत्र से?
आचार्य चाणक्य ने सुखी और सरल जीवन के लिए कईं सूत्र बताए हैं। आचार्य चाणक्य ने अपने एक सूत्र में बताया है कि पुत्र के साथ किस उम्र में कैसा व्यवहार करें। जानें क्या है ये नीति…
Image credits: adobe stock
Hindi
चाणक्य नीति का श्लोक
लालयेत् पञ्च वर्षाणि, ताडयेत् दश वर्षाणि। प्राप्ते सम्प्राप्ते षोडशे वर्षे पुत्रं मित्र समाचरेत।
Image credits: adobe stock
Hindi
श्लोक का अर्थ
पांच वर्ष की आयु तक पुत्र से प्यार करें, इसके बाद 10 वर्षों तक उसके साथ कठोरता का व्यवहार किया जा सकता है। जब पुत्र 16 साल का हो जाए तो उसके साथ मित्र जैसा व्यवहार करें।
Image credits: adobe stock
Hindi
पहले 5 साल प्यार क्यों?
पुत्र जब छोटा हो यानी यानी 5 साल तक का, तब तक उसे खूब लाड़-दुलार करें। उस समय उसकी चंचलता का आनंद लेना चाहिए, क्योंकि बच्चों का बचपन लौट कर नहीं आता।
Image credits: freepik
Hindi
16 साल तक कठोर व्यवहार क्यों?
6 से 16 साल तक का का समय पढ़ाई-लिखाई के लिए होता है। यदि बच्चा इस दौरान पढ़ाई-लिखाई में आनाकानी करे करें तो उसे सही मार्ग पर लाने के लिए कठोर व्यवहार कर सकते हैं।
Image credits: freepik
Hindi
16 साल बाद मित्र जैसा व्यवहार क्यों?
आचार्य चाणक्य के अनुसार, 16 साल की के बाद पिता को पुत्र से दोस्त जैसा व्यवहार करना चाहिए। ताकि वो हर बात पिता से शेयर कर सके और अच्छी-बुरी बातों के बारे में जान सके।