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पत्नी अपने पति से सच्चा प्यार करती है या झूठा, ये कब पता चलता है?

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महान विद्वान थे आचार्य चाणक्य

चाणक्य भारत के महान विद्वान थे। उन्होंने नीति शास्त्र जैसे महान ग्रंथ की रचना की। इस ग्रंथ की एक नीति में बताया गया है कि पत्नी की परीक्षा कब होती है। जानें इस नीति के बारे में…

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चाणक्य नीति का श्लोक

जानीयात् प्रेषणे भृत्यान् बान्धवान् व्यसनागमे।
मित्रं चापत्तिकालेषु भार्या च विभवक्षये।।

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ये है श्लोक का अर्थ

अर्थ- काम करने के समय नौकर की, दुख आने पर बंधु-बांधवों की, कष्ट आने पर मित्र की और धन का नाश होने पर पत्नी की परीक्षा होती है।

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कब होती है पत्नी की परीक्षा?

जब पति के पास पैसा होता है तो पत्नी उसकी हर बात मानती है और उसे प्यार भी करती है, ये प्यार असली है या नकली, इस बात का पता जब चलता है जब पति के धन का नाश हो जाता है।

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कब होती है बंधु-बांधवों की परीक्षा?

जब किसी के ऊपर कोई दुख आता है तो वह सबसे पहले अपने भाई और रिश्तेदारों से मदद की उम्मीद करता है। ऐसे समय में भाई और रिश्तेदारों के व्यवहार से उनकी असलियत पता चलती है।

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कैसे पहचानें सच्चे मित्र को?

जीवन में कष्टों का आना-जाना लगा रहता है। इस स्थिति में व्यक्ति अपने दोस्तों से सहायता चाहता है। इस स्थिति में जो मित्र काम आए वही सच्चे दोस्त होते हैं, अन्य नहीं।

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कब होती है नौकर की परीक्षा?

आचार्य चाणक्य के अनुसार, नौकर की परीक्षा काम करते समय होती है। नौकर कितना समझदार है और मालिक के प्रति कितना ईमानदार है ये बातें उसके काम करने के ढंग से जान सकते हैं।

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