कब और किस स्थिति में पत्नी का त्याग कर देना चाहिए?
Spiritual Apr 11 2024
Author: Manish Meharele Image Credits:adobe stock
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जानें आचार्य चाणक्य के लाइफ मैनेजमेंट
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में लाइफ मैनेजेमेंट के अनेक सूत्र बताए हैं। उन्होंने ये भी बताया है कि कब और किस स्थिति में पत्नी, गुरु, धर्म और भाई-बहन का त्याग कर देना चाहिए…
जिस धर्म में दया न हो, जो गुरु विद्याहीन हो, जो पत्नी सदैव झगड़ती हो और जिन भाइयों के व्यवहार में स्नेह न हो, उन सभी का त्याग कर देना चाहिए। इसमें कोई बुराई नहीं है।
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ऐसे धर्म को छोड़ना अच्छा
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो धर्म दया करना न सिखाता हो, जिसमें दूसरों की सहायता की शिक्षा न दी जाए, ऐसे धर्म को त्याग देना चाहिए। ऐसा धर्म कभी सही रास्ता नहीं दिखाता।
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ऐसे गुरु का भी कर दें त्याग
आचार्य चाणक्य की मानें तो जो गुरु ज्ञानहीन हो यानी जिसके पास स्वयं ही ज्ञान का अभाव हो, ऐसे गुरु तो तुरंत छोड़ देना चाहिए। ऐसे गुरु का साथ हमेशा भटकाता रहता है।
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ऐसी पत्नी को भी छोड़ देना चाहिए
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो पत्नी सदैव गुस्से में रहती है और विवाद करने पर उतारू रहती है, उसका त्याग करने में कोई बुरी बात नहीं। ऐसी पत्नी का साथ नरक भोगने के समान है।
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ऐसे भाई-बहनों को भी छोड़ दें
आचार्य चाणक्य के अनुसार, कठिन परिस्थिति में भाई-बहन ही सच्चा सहारा होते हैं। लेकिन अगर भाई-बहन में आपके प्रति कोई स्नेह का भाव न हो तो उनका त्याग करना ही बेहतर है।