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कौन होता है खराब कैरेक्टर वाली स्त्री का सबसे बड़ा दुश्मन?

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जानें आचार्य चाणक्य की नीति

आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि भ्रष्ट स्त्री (पत्नी), लालची व्यक्ति, मूर्ख और चोर का सबसे बड़ा शत्रु कौन होता है। आगे जानिए आचार्य चाणक्य की इस नीति के बारे में…

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चाणक्य नीति का श्लोक

लुब्धानां याचक: शत्रु: मूर्खाणां बोधको रिपु:।
जारस्त्रीणां पति: शत्रुश्चौराणां चंद्रमा: रिपु:।।
 

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श्लोक का अर्थ

अर्थ- लोभी का सबसे बड़ा शत्रु है मांगने वाला, मूर्ख व्यक्ति का शत्रु है उपदेश देने वाला, भ्रष्ट पत्नी का शत्रु है उसका पति और चोर का दुश्मन है चंद्रमा।

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पत्नी का शत्रु कैसे है पति?

जो स्त्री यानी पत्नी बुरे चरित्र वाली है, वह सबकुछ अपनी मर्जी से करना चाहती है लेकिन पति उसे ऐसा करने से रोकता है। इसलिए वह स्त्री पति को ही अपना शत्रु मानने लगती है।

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लोभी का शत्रु है मांगने वाला

लालची व्यक्ति हर समय सिर्फ पैसा बचाने के बारे में ही सोचता रहता है। यदि उसके पास को धन मांगने वाला आ जाए तो लोभी को वह अपने शत्रु के समान ही नजर आता है।

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मूर्ख का शत्रु है उपदेश देने वाला

मूर्ख व्यक्ति को दूसरों की बातें समझ नहीं आती। यदि कोई विद्वान उसे सही बात समझाने की कोशिश करता है तो वह उपदेश देने वाले को ही अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझने लगता है।

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चोर का शत्रु है चंद्रमा

चोर अपन काम रात के समय ही करते हैं। चोर छिपते-छिपाते हुए ये काम करते हैं, लेकिन कईं बार चांद की रोशनी में नजर आ जाते हैं।इसी वजह से चोर चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं।

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