आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में 4 ऐसे गुणों के बारे में बताया है, जिसे अभ्यास से नहीं पाया जा सकता, ये गुण जन्म से ही इंसानों में होते हैं। आगे जानिए इन 4 गुणों के बारे में…
कोई व्यक्ति चाहकर भी या अभ्यास से दान देने का गुण अपने अंदर विकसित नहीं कर सकता है। ये गुण तो जन्मजात होता है। इसलिए कहते हैं दान देना हर किसी के बस की बात नहीं।
मधुर वाणी बोलने का गुण व्यक्ति के अंदर जन्म से ही होता है यानी किसी भी स्थिति में ये लोग मीठा ही बोलते हैं। अगर कोई इसका अभ्यास कर भी ले तो उसमें बनावटीपन नजर आ जाता है।
कुछ लोग मुश्किल समय में गलत निर्णय ले लेते हैं, जबकि धैर्यवान पुरुष हर परिस्थिति में सोच-विचारकर सही निर्णय लेता है। ये एक गुण सभी लोगों में नहीं पाया क्योंकि ये जन्मजात होता है।
भगवान कुछ लोगों को ऐसी शक्ति देते हैं, जिसके जरिए वे आसानी से सही-गलत की पहचान कर लेते हैं। लेकिन ये गुण जन्मजात होता है, इसे अभ्यास से नहीं पाया जा सकता।