महाभारत के प्रमुख पात्रों में द्रौपदी को नहीं भूला जा सकता। द्रौपदी से जुड़ी कईं कथाएं हमारे समाज में प्रचलित है। द्रौपदी क्यों स्वर्ग नहीं जा पाई और उसकी मृत्यु कैसे हुई आगे जानिए…
द्रौपदी पूर्व जन्म में एक ब्राह्मण कन्या था। उस जन्म में द्रौपदी ने महादेव को प्रसन्न कर 5 बार भरतवंशी पति का वरदान मांगा था। उसी वरदान के कारण द्रौपदी का विवाह पांडवों से हुआ।
पांचाल देश के राजा द्रुपद ने एक यज्ञ किया था। उस यज्ञ से द्रौपदी प्रकट हुई थी। यज्ञ से प्रकट होने के कारण उसका एक नाम यज्ञसेनी भी था। उसी यज्ञ से धृष्टद्युम्न भी प्रकट हुआ था।
जब दुर्योधन इंद्रप्रस्थ में था तब वह भूल से सरोवर में गिर गया। द्रौपदी ने ये देखा तो अंधे के पुत्र अंधा कहकर उसका अपमान किया। इसी अपमान का बदला दुर्योधन ने चीरहरण कर लिया था।
जब पांडव अपना राज-पाठ छोड़कर स्वर्ग की यात्रा पर निकले तो द्रौपदी भी उनके साथ थी। यात्रा के अंतिम पड़ाव पर द्रौपदी अचानक गिर गई और उसी समय उसकी मृत्यु हो गई।
जब भीम ने पूछा ‘द्रौपदी तो पतिव्रता थी तो भी उसकी मृत्यु क्यों हुई’, तो युधिष्ठिर ने कहा कि ‘द्रौपदी हम पांचों में से अर्जुन को अधिक प्रेम करती थी, इसलिए उसकी मृत्यु हुई है।’