इस बार अगहन मास की अमावस्या की अमावस्या 30 नवंबर और 1 दिसंबर को रहेगी। 30 नवंबर को शनिवार होने से क्या है शनिश्चरी अमावस्या कहलाएगी? आगे दूर करें अपना कन्फ्यूजन…
पंचांग के अनुसार, अगहन मास की अमावस्या 30 नवंबर, शनिवार की सुबह 10 बजकर 30 मिनिट से शुरू होगी, जो 01 दिसंबर, रविवार की सुबह 11 बजकर 51 मिनिट तक रहेगी।
इस तरह अगहन अमावस्या तिथि 1 नहीं बल्कि 2 दिन रहेगी (30 नवंबर और 1 दिसंबर)। इसी वजह से लोगों के मन में शनिश्चरी अमावस्या को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
विद्वानों के अनुसार, शनिश्चरी अमावस्या में स्नान-दान का महत्व है। चूंकि अमावस्या तिथि का सूर्योदय 1 दिसंबर, रविवार को होगा, इसलिए ये अमावस्या शनिश्चरी नहीं कहलाएगी।
विद्वानों के अनुसार, 30 नवंबर को दोपहर में अमावस्या तिथि रहेगी जो श्राद्ध के लिए उपयुक्त होती है। इसलिए इस दिन पितरों की शांति के लिए श्राद्ध-पिंडदान और तर्पण कर सकते हैं।
ज्योतिषियों की मानें तो अगहन मास की अमावस्या का स्नान-दान 1 दिसंबर, रविवार को करना श्रेष्ठ रहेगा। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और जरूरतमंदों को दान करने का विशेष महत्व रहेगा।