चाणक्य नीति के अनुसार, पैसा आने के बाद थोड़ा धन लोगों की भलाई जैसे समाज सेवा में भी लगाना चाहिए। ऐसा करने से समाज में आपका मान-सम्मान भी बढ़ेगा और धन का सदुपयोग भी होगा।
आचार्य चाणक्य की मानें तो धन आने पर उसका इन्वेस्टमेंट भी करें, ताकि उसमें वृद्धि होती रहे। संचय करके रखा हुआ धन धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है। इन्वेस्टमेंट से धन लगातार बढ़ता जाता है।
कुछ लोग पैसा आने पर दिखावा और फिजूलखर्ची करते हैं। इससे लोगों के मन में हीन भावना आती है। ऐसा बिल्कुल भी न करें। जो लोग बेवजह खर्च करते हैं, उनका धन जल्दी ही खत्म हो जाता है।
पैसा आने के बाद अक्सर लोगों को अहंकार आ जाता है। ऐसी भावना भूलकर भी मन में नहीं लानी चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा भावना मन में लाता है उसका धन शीघ्र ही नष्ट भी हो जाता है।