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बच्चों को क्यों पहनाई जाती है चांदी की चेन, जानिए इसके पीछे का राज

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बुरी नज़र से सुरक्षा

चांदी की चेन या पायल बच्चे को नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नज़र से बचाती है। माना जाता है कि चांदी शुभ वाइव्रेंट पैदा करती है और बच्चे के चारों ओर एक सुरक्षा कवच का काम करती है।

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चंद्र एनर्जी को संतुलित करती है

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, चांदी का संबंध चंद्रमा से है। जन्म के बाद पहले 12 वर्षों तक बच्चा चंद्रमा के प्रभाव में रहता है। चांदी पहनने से चंद्रमा का प्रभाव शांत होता है।

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शांति प्रदान करता है

चांदी का स्वभाव शांत होता है। इसे पहनने से बच्चे का मन शांत होता है और चिड़चिड़ापन कम होता है। यह उनकी एकाग्रता और मानसिक विकास में मदद करता है।

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सौभाग्य का प्रतीक

हिंदू परंपरा में, चांदी को शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे पहनने से बच्चे के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सौभाग्य और खुशियां आती हैं।

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स्वास्थ्य लाभ और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है

वैज्ञानिक दृष्टि से, चांदी में जीवाणुरोधी और शीतलता प्रदान करने वाले गुण होते हैं। यह शरीर के तापमान को संतुलित रखता है और बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बनाता है।

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सौंदर्य और खूबसूरती का प्रतीक

चांदी को एक शुद्ध धातु माना जाता है। यह बच्चे की आभा को निखारती है और पवित्रता का प्रतीक मानी जाती है। इसलिए, नवजात शिशुओं को चांदी की चेन या पायल पहनाई जाती है।

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आस्था और विज्ञान का मिश्रण

बच्चों को चांदी से सजाने की परंपरा न केवल धार्मिक, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी है। यह एक ऐसी प्रथा है जो पीढ़ियों से चली आ रही है और सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा देती है।

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