12 नवंबर, रविवार को देश में दिवाली का त्योहार मनाया गया। इस दिन लोगों को पटाखे फोड़कर खूब शोर किया, वहीं देश के एक हिस्से में इस दिन साइलेंट दिवाली मनाई गई।
साइलेंट दिवाली एक नया कॉनसेप्ट है, जिसमें बिना किसी शोरगुल और पटाखों की आवाज के दिवाली सेलिब्रेशन किया जाता है। इस दौरान दीप जलाएं जाते हैं और बधाई भी दी जाती है।
तमिलनाडु राज्य के 7 गांव ऐसे हैं जहां साइलेंट दिवाली मनाने की चलन है। ये गांव हैं- सेलप्पमपलयम, वदामुगम वेल्लोड, सेम्मांडमपालयम, करुक्कनकट्टू वलासु, पुंगमपाडी और 2 अन्य।
तमिलनाडु के इरोड जिले के इन 7 गांवों में दिवाली के मौके पर सिर्फ रोशनी की जाती है और दीपक जलाए जाते हैं। इस दौरान ऐसा कोई काम नहीं किया जाता, जिससे ज्यादा आवाज हो।
तमिलनाडु के इन गांवों के नजदीक ही पक्षी अभयारण्य हैं। पटाखों की आवाज से इन पक्षियों को काफी तकलीफ होती है। इसलिए इन गांवों में शांत यानी साइलेंट दिवाली मनाई जाती है।
स्थानीय लोगों के अनुसार साइलेंट दिवाली की परंपरा 22 साल पुरानी है। पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण के लिए गांव वालों ने मिलकर ये फैसला लिया था जो आज तक कायम है।