इस बार दिवाली 12 नवंबर, रविवार को है। दिवाली क्यों मनाते हैं, इसे लेकर 1 नहीं कईं मान्यताएं हैं। कुछ ऐसी मान्यताओं के बारे में हम आपको आज बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं…
दानव और देवताओं ने मिलकर जब समुद्र को मथा तो इसमें कईं रत्न निकले। देवी लक्ष्मी भी समुद्र मंथन से ही प्रकट हुईं, उस दिन कार्तिक अमावस्या थी। तभी से लक्ष्मी पूजा की परंपरा है।
रावण का वध कर जब श्रीराम अयोध्या लौटे तो इस खुशी में अयोध्यावासियों ने उनका भव्य स्वागत किया और पूरे नगर को दीपों से सजा दिया। दिवाली मनाने का एक कारण ये भी प्रचलित है।
कार्तिक अमावस्या के एक दिन पहले श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। दूसरे दिन इसी खुशी में लोगों ने उत्सव मनाया। तभी से दिवाली मनाई जा रही है।
कौरवों को युद्ध में पराजित करने के बाद पांडवों ने नगर में प्रवेश किया तो उनका स्वागत दीपक जलाकर किया गया। उस दिन कार्तिक अमावस्या तिथि थी। दिवाली मनाने का एक कारण ये भी है।
भगवान वामन रूप ने राजा बलि से सबकुछ छिन लिया तो प्रसन्न होकर उन्हें सुतल लोक का राजा बना दिया। सुतल लोक के लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया। इसलिए भी दिवाली मनाई जाती है।