महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले कौरवों और पांडवों के प्रमुख लोगों ने मिलकर युद्ध के कुछ नियम बनाए थे। हालांकि बाद में ये सभी नियम टूटते चले गए। जानें कौन-से थे ये नियम…
महाभारत के अनुसार, युद्ध के लिए पहला नियम ये था कि प्रतिदिन युद्ध समाप्त होने के बाद दोनों पक्ष के योद्धा आपस में प्रेमपूर्ण व्यवहार करेंगे। कोई किसी के साथ छल-कपट नहीं करेगा।
महाभारत युद्ध का एक नियम ये भी था कि जो वाग्युद्ध (अत्यधिक क्रोधपूर्ण बातें) कर रहे हों, उनका मुकाबला वैसे से ही किया जाए। जो सेना से बाहर निकल गए हों, उन पर प्रहार न करें।
महाभारत युद्ध के नियमों के अनुसार, रथ सवार का युद्ध रथ सवार के साथ, हाथी सवार का हाथी सवार के साथ, घुड़सवार का युद्ध घुड़सवार के साथ और पैदल के साथ पैदल सैनिक ही लड़ाई करेंगे।
नियमों के अनुसार, हर योद्धा अपनी बराबरी वाले योद्धा के साथ ही युद्ध करेगा। जिसकी इच्छा युद्ध की न हो, उसके साथ युद्ध न करें। दुश्मन को पुकारकर, सावधान करके उस पर प्रहार किया जाए।
जो किसी एक के साथ युद्ध कर रहा हो, उस पर दूसरा कोई वार न करे। जो युद्ध छोड़कर भाग रहा हो या जिसके अस्त्र-शस्त्र और कवच नष्ट हो गए हों, ऐसे निहत्थों पर वार न किया जाए।
भार ढोने वाले, शस्त्र पहुंचाने वाले और शंख बजाने वालों पर प्रहार न किया जाए। एक योद्धा पर कईं योद्धा एक साथ प्रहार न करेंगे। घायल पड़े योद्धा पर भी वार नहीं किया जाएगा।