महाभारत के अनुसार, कौरवों के अंतिम सेनापति अश्वत्थामा हैं। दुर्योधन ने मरने से पहले अश्वत्थामा को अपना सेनापति बनाया था। मान्यता है कि अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने ही अश्वत्थामा को कलयुग के अंत तक पृथ्वी पर भटकने रहने का श्राप दिया था। इसलिए ये मान्यता है कि अश्वत्थामा आज भी पृथ्वी पर कहीं तपस्या कर रहे हैं।
महाभारत के अनुसार, पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा काल, क्रोध, यम व रुद्र के संयुक्त अंशावतार थे। युद्ध में इन्होंने अपने पिता की तरह कौरवों का साथ दिया था।
कौरवों का सेनापति बनने के बाद अश्वत्थामा ने रात में पांडवों के शिविर पर हमला कर दिया और द्रौपदी के पांचों पुत्रों का वध कर दिया। साथ ही अन्य योद्धाओं की भी हत्या कर दी।
जब पांडव अश्वत्थामा को पकड़कर द्रौपदी के सामने लाए तो द्रौपदी ने अश्वत्थामा को ब्राह्मण और गुरु पुत्र होने के कारण क्षमा कर दिया और इस तरह अश्वत्थामा के प्राण बच गए।
मान्यता है कि अश्वत्थामा आज भी किसी गुप्त स्थान पर तपस्या कर रहे हैं। कलयुग के अंत में जब कल्कि अवतार होगा, तब वे सामने आएंगे और धर्म की स्थापना में उनकी सहायता करेंगे।