महाभारत हिंदू धर्म का प्रमुख ग्रंथ है। महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास के अनुसार सारे संसार का ज्ञान इस ग्रंथ में है और जो ज्ञान महाभारत में नहीं, वो दुनिया में कहीं नहीं है।
महर्षि वेदव्यास ने भले ही इस ग्रंथ की रचना की हो, लेकिन इसका लेखन स्वयं भगवान श्रीगणेश ने किया है। इसलिए इस ग्रंथ का महत्व और भी अधिक हो जाता है। इस ग्रंथ में 1 लाख श्लोक हैं।
पवित्र ग्रंथ होने के बाद में हिंदू घरों में कहीं भी महाभारत ग्रंथ नहीं रखते। इसके पीछे ये मान्यता है कि महाभारत को घर में रखना अशुभ होता है और परिवार में विवाद की स्थिति बनती है।
महाभारत घर में न रखने के पीछे ये कारण मानते हैं कि इसमें जुआं खेलने, पत्नी को दांव पर लगाने और भाई द्वारा भाई को मारने के कईं प्रसंग हैं। ये बातें जनमानस पर बुरा असर डाल सकती हैं।
इस मान्यता का कोई भी ठोस आधार नहीं है, क्योंकि महाभारत में कईं ऐसे प्रसंग भी हैं जो मनुष्य को गलत काम करने से रोकते हैं और अच्छे काम करने के लिए प्रेरणा भी देते हैं।
मलूकदास पीठ के प्रमुख राजेंद्रदासजी महाराज की मानें तो हर व्यक्ति को अपने घर में महाभारत जरूर रखना चाहिए। इसे रखने में कोई अशुभता नहीं है, उल्टा इसके पाठ से शुभ फल मिलते हैं।