धर्म ग्रंथों में कार्तिक मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार ये तिथि 1 नहीं बल्कि 2 नहीं, जिसके चलते इस पर्व को लेकर लोगों के मन में कन्फ्यूजन की स्थिति बन रही है।
कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर, रविवार की दोपहर 03:53 से शुरू होगी, जो 27 नवंबर, सोमवार की दोपहर 02:46 तक रहेगी। इस तरह ये तिथि 1 नहीं 2 तिथि तक रहेगी।
विद्वानों के अनुसार, चूंकि कार्तिक पूर्णिमा तिथि का सूर्योदय 27 नवंबर, सोमवार को होगा, इसलिए इसी दिन इस तिथि से संबंधित पूजा, उपाय आदि काम किए जाएंगे।
मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा पर ही त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। इसलिए इस तिथि को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर नदी या तालाब आदि में दीपदान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से पूरे महीने के दीपदान का फल मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व है। ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करेन से हर तरह की परेशानी दूर हो सकती है।