भगवान खाटू श्याम को हारे का सहारा कहते हैं यानी जो व्यक्ति हर तरफ से निराश हो चुका हो, खाटू श्याम उसकी भी परेशानी दूर कर देते हैं। इनका मुख्य मंदिर राजस्थान के खाटू में है।
महाभारत के अनुसार घटोत्कच के पुत्र का नाम बर्बरीक थे। बर्बरीक महान शक्तिशाली थे। बर्बरीक की महान शक्तियों को देखते हुए श्रीकृष्ण ने उन्हें युद्ध भूमि में आने से रोक किया।
भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से दान के रूप में उनका मस्तक मांग लिया। बर्बरीक ने हंसते-हंसते अपना सिर काटकर श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया, इसलिए इन्हें शीशदानी भी कहते हैं।
बर्बरीक की भक्ति और दानवीरता देखकर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि ‘कलयुग में तुम्हें मेरे श्याम नाम से पूजा जाएगा।’ इसलिए बर्बरीक को श्याम नाम से पूजा जाता है।
भगवान श्याम का मुख्य मंदिर राजस्थान के खाटू नामक स्थान पर है। खाटू में मंदिर होने के कारण ही इनका नाम खाटू श्याम पुकारा जाता है। रोज हजारों लोग यहां दर्शन करने आते हैं।
हर साल कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवउठनी एकादशी पर भगवान खाटू श्याम का जन्मोत्सव बड़ी ही धूम-धाम और श्रद्धा के साथ उनके भक्तों द्वारा मनाया जाता है।
इस बार कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि 23 नवंबर, गुरुवार को है। इसलिए इसी दिन भगवान खाटू श्याम का जन्मदिन मनाया जाएगा। इसी दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं।