करवा चौथ महिलाओं का प्रिय त्योहार है। लेकिन मथुरा के एक गांव में महिलाएं करवा चौथ पर न तो श्रृंगार करती हैं-न व्रत रखती हैं। इसके पीछे एक मान्यता है। आगे जानें क्या है वो मान्यता…
मथुरा जिले में एक गांव है सुरीर कलां। यहां करवा चौथ का नाम सुनते ही महिलाएं डर जाती हैं। इस गांव की महिलाएं ना तो करवा चौथ का व्रत करती हैं और ना ही सोलह श्रृंगार।
शादी के बाद नई दुल्हन को करवा चौथ का इंतजार रहता है, लेकिन यहां शादी होकर आईं लड़कियों की ये इच्छा अधूरी ही रह जाती है क्योंकि परिवार वाले उन्हें ये व्रत नहीं करने देते।
इस गांव में रहने वाली कई वृद्ध महिलाएं ऐसी भी हैं, जिनकी शादी हुए को 50 साल से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन इस दौरान उन्होंने एक बार भी करवा चौथा का व्रत नहीं किया।
मान्यता है कि यहां विवाद में एक आदमी की मृत्यु हो गई थी। पत्नी भी उसके साथ सती हो गई। मरते समय उसने श्राप दिया कि जो महिलाएं यहां करवा चौथ व्रत करेंगी, वे विधवा हो जाएंगी।
उस महिला के श्राप का भय आज तक गांव की महिलाओं में बना हुआ है। जिसके चलते इस गांव की महिलाएं ना तो यहां 16 श्रृंगार करती हैं और ना ही करवा चौथ का व्रत रखती हैं।