26 फरवरी को महाशिवरात्रि है। इस दिन देश के सभी 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। बहुत से लोगों को 12 ज्योतिर्लिंगों की जानकारी नहीं है। आगे जानें पूरी लिस्ट…
12 ज्योतिर्लिंगों में पहला है सोमनाथ। ये गुजरात के सौराष्ट्र में है। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी। उन्हीं के नाम पर इसका नाम सोमनाथ रखा गया है।
ये ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे में है। मान्यता है कि यहीं पर महादेव ने कुंभकर्ण के पुत्र भीम का वध किया था। इस ज्योतिर्लिंग के रोज सुबह दर्शन करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
ये ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के काशी में है। इस ज्योतिर्लिंग का महत्व कहीं अधिक है। मान्यता है कि भगवान शिव स्वयं काशी में निवास करते हैं। प्रलय में भी ये स्थान नष्ट नहीं होगा।
ये ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में है। केदारनाथ का वर्णन शिवपुराण में भी है। जिस प्रकार कैलाश पर्वत का महत्व है, वैसा ही महत्व महादेव ने केदार क्षेत्र को भी दिया है।
ये ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में है। ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां की जाने वाली भस्मारती विश्व प्रसिद्ध है। महाकाल के दर्शन से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
ये ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में श्रीशैल पर्वत पर है। मान्यता है कि प्रत्येक अमावस्या पर यहां शिवजी और देवी पार्वती आते हैं। इसके दर्शन से पापों से मुक्ति मिलती है।
ये ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारिका में है। नागों के देवता होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर है। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सभी रोगों का नाश होता है।
ये ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा में है। इस मंदिर के निकट नर्मदा नदी बहती है। ये ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरं में है। ये हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इसकी स्थापना भगवान श्रीराम ने की थी। राम द्वारा स्थापित होने से इसे रामेश्वरम कहते हैं।
ये ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के निकट महाराष्ट्र के त्र्यंबक में है। भगवान शिव का भी एक नाम त्र्यंबकेश्वर है। यहां लोग दूर-दूर से कालसर्प और पितृ शांति के लिए पूजा करने आते हैं।
ये उत्तरखंड के देवघर में स्थित है। इसकी स्थापना राक्षसों के राजा रावण ने की थी। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, इसलिए इसे कामना लिंग भी कहते हैं।
ये 12 ज्योतिर्लिंग में अंतिम है। ये ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद में है। इनके दर्शन करने से नि:संतान लोगों के योग्य संतान की प्राप्ति होती है। इसका एक नाम घूश्मेश्वर भी है।