‘नातरा’ शब्द हम सभी ने कभी न कभी जरूर सुना होगा, लेकिन बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं। नातरा क्या होता है, ये क्या प्रथा है आदि। आज हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं…
नातरा प्रथा राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में ज्यादा प्रचलित है। यहां रहने वाले कईं जाति- समाज के लोग इस परंपरा को मानते हैं, जबकि अन्य समाज के लोग इसे ठीक नहीं मानते।
जब किसी स्त्री का पति मर जाए या छोड़ जाए तो परिवार के लोग उस स्त्री को दूसरे व्यक्ति के साथ घर बसाने की इजाजत दे देते हैं, इसे ही नातरा कहते हैं। इसमें सबकी रजामंदी शामिल होती है।
नातरा में सब कुछ मौखिक रूप से तय होता है यानी विवाह नहीं होता और न ही 7 फेरे होते हैं। समाज के लोग उन्हें पति-पत्नी का दर्जा देते हैं और इस तरह उनका वैवाहिक जीवन शुरू हो जाता है।
नातरा करके लाई गई स्त्री को पत्नी के सभी अधिकार मिलते हैं लेकिन परिवार में की जाने वाली पूजा में बैठने का अधिकार उसे नहीं मिलता। ये हक सिर्फ ब्याहता स्त्री के पास ही होता है।
नातरा प्रथा से पैदा हुए बच्चों को 'बाकड़ा' कहते हैं। इन बच्चों को पिता के पूरे अधिकार मिलते हैं और परिवार की पूजा में भी शामिल हो सकते हैं।