इस बार गणेश उत्सव 28 सितंबर तक मनाया जाएगा। श्रीगणेश से जुड़ी एक मान्यता ये है कि श्रीगणेश की प्रतिमा की पीठ नहीं देखनी चाहिए, ऐसा करना अशुभ होता है। जानें इस मान्यता का कारण…
ग्रंथों के अनुसार, गणेशजी के शरीर के हर अंग का अलग महत्व है। गणेशजी की सूंड पर धर्म विद्यमान है, कानों पर वेदों की ऋचाएं, दाएं हाथ में वर और बाएं हाथ में अन्न का स्थान माना गया है।
गणेशजी के पेट में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड, आंखों में लक्ष्य, पैरों में सातों लोक और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान है। इसलिए गणेशजी के दर्शन हमेशा सामने की ओर से ही करने चाहिए।
मान्यता है कि भगवान श्रीगणेश की पीठ पर देवी लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी का वास है। अलक्ष्मी को ही दरिद्रता भी कहते हैं। अलक्ष्मी की उत्पत्ति भी समुद्र मंथन से ही मानी जाती है।
मान्यता है कि गणेशजी की पीठ पर अलक्ष्मी का वास होने से जो भी इनकी पीठ के दर्शन करता है उसे धन हानि के योग बनने लगते हैं और वह व्यक्ति बहुत जल्दी गरीब हो जाता है।
जाने-अनजाने में यदि गणेशजी की पीठ के दर्शन हो जाए तो तुरंत ही गणपतिजी से क्षमा याचना करें और ऊँ गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें।