पितृ पक्ष 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक रहेगा। इस दौरान एक विशेष तिथि पर सामान्य रूप से मृत परिजनों का श्राद्ध नहीं करना चाहिए, इसके बुरे परिणाम मिलते हैं। जानिए कौन-सी हैं वो तिथि…
यदि किसी परिजन की मृत्यु सामान्य रूप से चतुर्दशी तिथि पर हुई हो तो उसका श्राद्ध इस तिथि पर न करते हुए सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर करना चाहिए। इस बार ये तिथि 13 अक्टूबर को है।
महाभारत के अनुसार, जिन पितरों की मृत्यु चतुर्दशी तिथि पर स्वभाविक रूप से हुई हो, उनका श्राद्ध इस तिथि पर नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से श्राद्ध करने वाला विवादों में घिर जाता है।
कूर्मपुराण के अनुसार, जो व्यक्ति सामान्य रूप से मृत परिजन का श्राद्ध यदि पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर करता है उसे अयोग्य संतान की प्राप्ति होती है।
याज्ञवल्क्य स्मृति में भी चतुर्दशी तिथि पर सामान्य रूप से मृत व्यक्ति के श्राद्ध करने की मनाही की गई है। नहीं तो निकट भविष्य में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
यदि किसी पूर्वज की मृत्यु हथियार या घटना-दुर्घटना में हुई हो और उनकी मृत्यु तिथि पता न हो तो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करना चाहिए, इससे उनकी कृपा अपने वंशजों पर बनी रहती है।
अगर हथियार से मारे गए परिजन की मृत्यु तिथि ज्ञात हो तो भी चतुर्दशी तिथि पर उनके लिए तर्पण और पिंडदान जरूर करना चाहिए। ऐसा धर्म ग्रंथों में लिखा है।