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मुर्दे के ऊपर पैर रखकर कौन-सी साधना करते हैं अघोरी?

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कब से शुरू होगा महाकुंभ 2025?

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक महाकुंभ लगने जा रहा है। इस महाकुंभ में साधु-संतों के साथ अघोरी भी नजर आएंगे। अघोरी आम साधु-संतों से अलग होते हैं।

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क्या है अघोर शब्द का अर्थ?

अघोर शब्द का अर्थ है जो घोर नहीं, यानी बहुत ही सहज और सरल। अघोरी साधु किसी से भी घृणा नहीं करते। वे मुर्दें का सड़ा हुआ मांस भी उसी तरह खा लेते हैं जैसे मिठाई।

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क्या नहीं खाते अघोरी?

अघोरी हर जीव-जंतु का मांस खा लेते हैं सिर्फ गाय का मांस छोड़कर। पीने में वे कितना भी गंदा पानी पी लेते हैं। यहां तक कि वे स्वमूत्र पीने से भी नहीं कतराते।

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कितने तरह की साधना करते हैं अघोरी?

अघोरी 3 तरह की साधनाएं करते हैं- शव, शिव और श्मशान। इन तीनों साधनाओं के तरीके अलग-अलग होते हैं। इन साधनाओं में शराब व अन्य तामसिक चीजों का उपयोग भी होता है।

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कैसे करते हैं शव साधना?

शव साधना में अघोरी मुर्दे यानी किसी के भी मृत शरीर का उपयोग कर सकते हैं। इस साधना में वे मुर्दे को मांसाहार, शराब आदि चीजों का भोग लगाते हैं। ये तामसिक पूजा होती है।

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कैसे होती है शिव साधना?

शिव साधना में अघोरी शव के ऊपर पैर रखकर साधना करते हैं। बाकी तरीके शव साधना की ही तरह होते हैं। इस साधना का मूल शिव की छाती पर पार्वती द्वारा रखा हुआ पाँव है।

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कैसे करते हैं श्मशान साधना?

श्मशान साधना में अघोरी शवपीठ (जहां मुर्दे को जलाते हैं) की पूजा करते हैं। इस पूजा में अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं। इस पूजा में मांस-मंदिरा की जगह मिठाई आदि चढ़ाई जाती है।

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