उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक महाकुंभ मेला लगेगा। इस महाकुंभ में लाखों नागा साधु भाग लेंगे। साथ ही हजारों लोगों को नागा साधु बनाया भी जाएगा।
Image credits: Getty
Hindi
कठिन है नागा बनने की प्रक्रिया
नागा साधु बनाने की प्रक्रिय बहुत ही कठिन है। इसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। दीक्षा देने के बाद भी नागा साधुओं को एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
Image credits: Getty
Hindi
पहले किया जाता है लिंग भंग
दीक्षा देने के बाद नागा साधुओं का लिंग भंग किया जाता है। लिंग भंग का अर्थ लिंग काटने से नहीं है। ये एक दर्दनाक प्रक्रिया है, जिससे हर नागा साधु को गुजरना ही पड़ता है।
Image credits: Getty
Hindi
गुप्त रूप से किया जाता है लिंग भंग
कुंभ के दौरान नए नागा साधुओं की गुप्त रूप से लिंग भंग किए जाने की परंपरा है। ये परंपरा रात में की जाती है जिसमें सिर्फ अखाड़े के लोग ही शामिल हो सकते हैं।
Image credits: Getty
Hindi
ध्वज के नीचे रखते हैं खड़ा
लिंग भंग प्रक्रिया के दौरान नए नागा साधु को अखाड़े के ध्वज के नीचे नग्न अवस्था में खड़ा किया जाता है। इस दौरान अखाड़े के प्रमुख संत जल छिड़ककर उसे पवित्र करते हैं।
Image credits: Getty
Hindi
कैसे करते हैं लिंग भंग?
इसके बाद नए नागा साधु के लिंग को एक खास तरीके से खींचा जाता है, जिससे लिंग की एक खास नस टूट जाती है। इसके बाद उसका लिंग कभी उत्तेजित अवस्था में नहीं आता।
Image credits: Getty
Hindi
इसे टांग तोड़ भी कहते हैं
इसे ही लिंग भंग प्रक्रिया कहा जाता है। कुछ लोग इस संस्कार को टांग तोड़ भी कहते हैं। इस संस्कार के बाद वह संन्यासी काम वासना से मुक्त हो जाता है नागा बनने के लिए उपयुक्त हो जाता है।