वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज है इस समय अपनी सेहत को लेकर चर्चा में हैं। उनके निजी जीवन से जुड़ी ऐसी अनेक बातें हैं जो कम ही लोग जानते हैं। आगे जानें ऐसी ही 10 बातें…
सोशल मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रेमानंद महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पाण्डे है। वृंदावन आने के बाद उनके द्वारा उन्हें नया नाम दिया गया।
संत प्रेमानंद महाराज का जन्म 30 मार्च 1969 को उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के सरसील गांव में हुआ था। उनका बाल्यकाल यहीं बीता।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रेमानंद महाराज के पिता का नाम शंभू पांडे और माता का नाम रामा देवी हैं। पिता की आज्ञा से ही प्रेमानंद महाराज का आध्यात्मक का मार्ग चुना।
प्रेमानंद महाराज के प्रमुख गुरु श्रीहित गौरांगी शरण महाराज हैं। उनके अलावा राधावल्लभ मंदिर वृंदावन के 18वें तिलकायत अधिकारी मोहित मराल गोस्वामी भी इनके गुरु हैं।
बताया जाता है कि प्रेमानंद महाराज ने 9वीं तक शिक्षा प्राप्त की है। इसके बाद उनका मन आध्यात्मा की ओर हो गया, जिस वजह से उन्होंने आगे पढ़ाई नहीं की।
वर्तमान में प्रेमानंद महाराज श्रीहित केलिकुंज आश्रम, वृंदावन, उत्तर प्रदेश में रहते हैं। यहां वे प्रतिदिन अपने भक्तों को आध्यात्मिक शिक्षा देते हैं।
प्रेमानंद महाराज के पास संपत्ति के नाम पर कुछ भी नहीं है। यहां तक उनका अपने नाम पर कोई बैंक अकाउंट भी नही है।
प्रेमानंद महाराज ने अपने प्रवचनों में कईं बार बताया है कि वृंदावन आने से पहले वे काशी में गंगा किनारे साधु-संतों के आश्रम में रहते थे।
प्रेमानंद महाराज को पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज नामक बीमारी है। यह एक जेनेटिक यानी अनुवांशिक बीमारी है, जिसमें धीरे-धीरे किडनी काम करना बंद कर देती है।
प्रेमानंद महाराज ने अपनी किडनियों का नाम भी रखा है। इनमें से एक किडनी का नाम राधा और दूसरी का नाम श्रीकृष्ण है।