22 जनवरी को अयोध्या में राम लला की प्रतिमा गर्भ गृह में स्थापित की गई। इसके बाद ऐसा लग रहा है जैसे प्रतिमा सजीव हो गई। ये बात स्वयं प्रतिमा बनाने वाले अरुण योगिराज ने भी कही है।
राम लला की प्रतिमा के सजीव होने का रहस्य जब वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज से पूछा गया तो उन्होंने इसके बारे में विस्तार से बताया कि कैसे देव प्रतिमा में प्राण आ जाते हैं।
प्रेमानंद महाराज ने बताया ‘हिंदू धर्म के चारों वेद स्वयं देव स्वरूप हैं। इनमें अनेक चमत्कारी मंत्रों के बारे में बताया गया है, जिनमें पाषाण में प्राण डालने की शक्ति है।’
जब कोई महापुरुष इन मंत्रों का जाप करके भगवान का आवाहन करते हैं तो पाषाण की प्रतिमा भी सजीव और भव्य हो जाती है। इन मंत्रों से असंभव कार्य भी संभव हो जाता है।
प्रेमानंद महाराज ने ये भी बताया कि ‘भक्तों के भाव से भी भगवान प्रकट हो जाते हैं। जब अयोध्या में राम लला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई तो करोड़ों भक्तों के भाव उसमें आ गए।’
प्रेमानंद महाराज ने ने कहा ‘मंत्र शक्ति और भक्तों के भाव में बड़ी शक्ति हैं, ये पाषाण की प्रतिमा को भी सजीव कर देती है। अयोध्या में भी यही हुआ है, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है।