22 जनवरी 2024 की दोपहर अयोध्या मंदिर में एक विशेष मुहूर्त में राम लला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। ये कार्य एक विशेष नक्षत्र में किया जाएगा। जानें कौन-सा है वो नक्षत्र…
ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं। ग्रंथों में इन नक्षत्रों को दक्ष प्रजापति की पुत्री और चंद्रमा की पत्नी बताया गया है। इन सभी नक्षत्रों का महत्व, स्वामी, देवता अलग-अलग हैं।
22 जनवरी 2024 को मृगशिरा नक्षत्र में राम लला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। नक्षत्रों में मृगशिरा का स्थान पांचवां है। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल है, इसलिए इस पर इसका प्रभाव अधिक है।
मृगशिरा 7 तारों का समूह है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस नक्षत्र को पृथ्वी के हर हिस्से से देखा जा सकता है। इसे कालपुरुष तारामंडल भी कहते हैं। मृगशिरा का अर्थ है हिरण के सिर या सींग।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मृगशिरा नक्षत्र के देवता चंद्रमा हैं। चंद्रमा का एक नाम सोम भी है, जिसका अर्थ है अमृत। इसलिए इस नक्षत्र को अमृत के समान शुभ फल देने वाला माना गया है।
ज्योतिषियों के अनुसार, मृगशिरा एक बहुत ही शुभ नक्षत्र है। इस नक्षत्र में किया जाने वाला हर काम सफल होता है। यज्ञ-हवन, मंदिर स्थापना आदि के लिए ये नक्षत्र विशेष शुभ माना गया है।
पंचांग के नौवें महीने की पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होता है, इसीलिए इस महीने का नाम मार्गशीर्ष रखा गया है। इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा का महत्व है।