शिव मंदिर के बाहर नंदी की प्रतिमा जरूर होती है। नंदी के कानों में मनोकामना बोलने की परंपरा काफी प्राचीन है। इस परंपरा के पीछे एक खास कारण छिपा है। जानें इस परंपरा की वजह…
नंदी भगवान शिव के वाहन हैं। शिवपुराण में नंदी को शिव का अवतार बताया गया है। हर शिव मंदिर के बाहर नंदी की प्रतिमा जरूरी होती है। नंदी के बिना शिव मंदिर अधूरा माना जाता है।
जब भी कोई व्यक्ति शिव मंदिर में आता है तो वह नंदी के कान में अपनी मनोकामना जरूर कहता है। मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी इच्छा बहुत जल्दी पूरी होती है।
महादेव तपस्वी हैं और वे हमेशा समाधि में रहते हैं। ऐसे में उन तक हमारी बात सीधे नहीं पहुंच पाती। शिवजी के समाधि से उठने के बाद नंदी ही हमारी मनोकामना उन तक पहुंचाते हैं।
नंदी भगवान शिव के गणाध्यक्ष भी हैं और शिव के अवतार भी। उनके कानों में कही गई मनोकामना महादेव जल्दी सुनते हैं और भक्तों की परेशानियां दूर करते हैं।