11 जुलाई, शुक्रवार से सावन मास शुरू हो चुका है। इस महीने में उज्जैन के महाकाल मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। इस मौके पर आप घर बैठे देखें महाकाल के 10 आकर्षक श्रृंगार…
शिव महापुराण में जो 12 ज्योतिर्लिंग बताए गए हैं, उनमें से महाकाल तीसरा है। ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग हैं, इसलिए इसका तंत्र-मंत्र में विशेष महत्व माना गया है।
महाकाल मंदिर में रोज सुबह होने वाली भस्मारती विश्व प्रसिद्ध है। इसे देखने के लिए रोज यहां भक्तों का तांता लगता है। भस्मारती के दर्शन के लिए स्पेशल पास जारी किए जाते हैं।
मान्यता के अनुसार, भगवान महाकाल उज्जैन के राजा हैं। यहां के लोग भी इन्हें महाकाल राजा ही कहते हैं। कहते हैं कि महाकाल ही अपनी प्रजा का सुख-दुख में ध्यान रखते हैं।
सावन मास में हर सोमवार को भगवान महाकाल चांदी की प्रतिमा को पालकी में बैठाकर नगर के प्रमुख मार्गों पर घुमाया जाता है। ये परंपरा सिंधिया राजवंश द्वारा शुरू की गई थी।
महाकाल मंदिर के गर्भगृह की छत पर चांदी से बना रुद्र यंत्र स्थापित है। इतना बड़ा रुद्र यंत्र शायद ही कहीं ओर देखने को मिलता है। रुद्र यंत्र को साक्षात शिव का रूप माना जाता है।
महाकाल मंदिर तीन तलों में बंटा हुआ है। सबसे नीचे गर्भ गृह में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है। इसके ऊपर ओंकारेश्वर और सबसे ऊपर नागचंद्रेश्वर स्थापित हैं।
महाकाल मंदिर के सबसे ऊपरी तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी के मौके पर ही 24 घंटे के लिए खुलता है। साल के अन्य दिनों में ये बंद ही रहता है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग दक्षिणमुखी है और इस दिशा के स्वामी यमराज यानी काल हैं और काल के भी स्वामी होने के कारण इस ज्योतिर्लिंग का नाम महाकाल रखा गया है।