गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद क्या-क्या होता है, इसके बारे में विस्तार से बताया गया है। उसके अनुसार आत्मा जब यमलोक जाती है तो रास्ते में उसे अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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यमलोक के रास्ते में है वैतरणी नदी
यमलोक के रास्ते में एक नदी भी है, जिसे वैतरणी कहते हैं। इस नदी में पानी नहीं बल्कि खून, और मल-मूत्र बहता है। हजारों तीखे दांतों वाले कीड़े इसमें रहते हैं जो मृतात्मा को काटते हैं।
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बहुत भयानक है ये नदी
वैतरणी नदी बहुत ही भयानक है। इसे पार करते समय मृतात्मा को बहुत कष्ट सहना पड़ता है। इसमें रहने वाले जीव-जंतु मृतात्मा को बहुत कष्ट पहुंचाते हैं। ये स्थिति बहुत दुखदायी होती है।
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गाय पार करती है वैतरणी नदी
इस वैतरणी नदी को आसानी से पार करने के लिए गाय का होना जरूरी है। गाय की पूंछ पकड़कर इस नदी को सुगमता से पार किया जा सकता है। इससे मृतात्मा को कोई कष्ट नहीं होता।
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इसलिए करते हैं गाय का दान
गरुड़ पुराण के अनुसार, जब किसी के मरने के बाद गाय का दान किया जाता है तो वही गाय मृतात्मा को वैतरणी नदी के तट पर मिलती है, जिसकी पूंछ पकड़कर वह आत्मा वह नदी पार कर लेती है।