दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने अपनी एक नीति में 8 ऐसे कामों के बारे में बताया है जिन्हें करते समय बोले गए झूठ का पाप नहीं लगता। आगे जानिए शुक्राचार्य की इस नीति के बारे में…
शुक्रचार्य ने अपनी नीतियों में एक श्लोक लिखा है, उसके अनुसार-
स्त्रीषु नर्मविवाहे च वृत्तयर्थे प्राणसंकटे।
गोब्राह्ममार्थे हिंसायां नानृतं स्याज्जुगुप्सितम्।।
स्त्री को प्रसन्न करने, हंसी-मजाक में, विवाह के लिए, आजीविका बचाने, स्वयं को बचाने, गाय-ब्राह्मण की रक्षा के लिए, किसी अन्य को बचाने के लिए झूठ बोलने से पाप नहीं लगता।
अगर आप अपनी पत्नी को प्रसन्न करने के लिए कोई झूठ बोल रहे हैं तो इसका आपको कोई पाप नहीं लगेगा। पत्नी को खुश रखना पति का कर्तव्य है। इसके लिए बोला गया झूठ गलत नहीं है।
हंसी-ठिठौली में भी आप बेझिझक झूठ बोल सकते हैं। इस समय बोला गया झूठ भी झूठ नहीं माना गया है। ऐसा करने से आपको किसी तरह का कोई पाप नहीं लगेगा।
विवाह संबंध तय करते समय भी आप झूठ बोल सकते हैं, ऐसा शुक्राचार्य का कहना है। अगर छोटा सा झूठ बोलने से किसी की गृहस्थी बसती है तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
अगर बात आपकी नौकरी और स्वयं के प्राण बचाने की हो तो इस समय भी आप खुलकर झूठ बोल सकते हैं क्योंकि स्वयं की रक्षा ही सबसे बड़ा धर्म माना गया है।
हिंदू धर्म में गाय और ब्राह्मण, दोनों को ही पूजनीय माना गया है। अगर इन दोनों को बचाने के लिए झूठ बोलना पड़े तो बिल्कुल भी संकोच नहीं करना चाहिए।
अगर आपके सामने किसी के प्राण संकट में आ जाए और आपके झूठ बोलने से उसकी जान बच सकती है तो ऐसे समय में भी आप बिना सोचे-समझे झूठ बोलकर उसकी जान बचा सकते हैं।