महाभारत के एक प्रसंग में ये वर्णन मिलता है कि जब कर्ण ने घटोत्कच का वध किया था श्रीकृष्ण पहुत प्रसन्न हुए थे। बाद में उन्होंने भीम को इसका कारण भी बताया था। जानें क्या था वो कारण…
महाभारत के अनुसार, युद्ध के दौरान घटोत्कच ने अपनी मायावी शक्तियों से कौरव सेना में खलबली मचा दी थी। दुर्योधन सहित कईं योद्धाओं को घटोत्कच ने अपने शक्तियों से हरा दिया था।
घटोत्कच से युद्ध करने के लिए दुर्योधन ने कर्ण को कहा। कर्ण और घटोत्कच के बीच भयंकर युद्ध हुआ लेकिन घटोत्कच की मायावी शक्तियों के आगे कर्ण भी कुछ नहीं कर पाया।
तब कर्ण ने अपने उस दिव्यास्त्र का प्रयोग करने का फैसला किया, जिसे उसने अर्जुन के लिए बचाकर रखा था। उस दिव्यास्त्र के प्रहार से घटोत्कच बच नहीं पाया और उसकी मृत्यु हो गई।
घटोत्कच की मृत्यु होने पर श्रीकृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और हंसने लगे। जब भीम ने ये देखा कि श्रीकृष्ण घटोत्कच की मृत्यु पर खुश हो रहे हैं और हंस रहे हैं तो उन्होंने इसका कारण पूछा।
तब श्रीकृष्ण ने भी को बताया कि ‘घटोत्कच राक्षस था जो धर्म पूर्वक रहने वाले लोगों और साधु-संतों को परेशान करता था। इसलिए अगर आज ये न मरता तो बाद में इसे मुझे ही मारना पड़ता।’
श्रीकृष्ण ने ये भी कहा कि ‘अर्जुन को जिस दिव्यास्त्र से खतरा था, उसका उपयोग कर्ण ने घटोत्कच पर कर दिया है, अब अर्जुन के प्राणों को कोई खतरा नहीं है। यही सोचकर मैं खुश हूं।’