महात्मा विदुर महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे। उनकी नीतियां आज भी हमारे लिए उपयोगी हैं। महात्मा विदुर ने एक नीति में बताया है कि कैसे लोगों के हाथ में पैसा नहीं देना चाहिए…
येऽर्थाः स्त्रीषु समायुक्ताः प्रमत्तपतितेषु च
ये चानार्ये समासक्ताः सर्वे ते संशयं गताः
अर्थ- दुर्जन स्त्री (पत्नी), आलसी, पापी और अधर्मी व्यक्ति को दिया पैसा नष्ट हो जाता है।
महात्मा विदुर के अनुसार, दुर्जन स्त्री (पत्नी) को धन नहीं देना चाहिए। ऐसी पत्नी पैसों का दुरुपयोग करती है। दुर्जन पत्नी को दिया गया धन हमारे किसी काम नहीं आता और परेशानी बढ़ाता है।
आलसी आदमी को धन देना मूर्खता होती है। ऐसा व्यक्ति धन का सदुपयोग नहीं कर पाता और उससे सिर्फ अपना ही पेट भरता है।इसलिए भूलकर भी आलसी व्यक्ति को पैसा नहीं दें।
जो व्यक्ति पाप कर्म करता है यानी गलत तरीकों से पैसा कमाता है, उसे भी कभी भूलकर अपनी मेहनत की कमाई नहीं देनी चाहिए। ऐसे लोग आपका पूरा धन बर्बाद कर सकते हैं।
अधर्मी व्यक्ति वो होता है, जो सबकूझ जानते हुए ही गलत काम करता है और दूसरों का नुकसान करता है। इसलिए ऐसे व्यक्ति को पैसे देना यानी धन का सर्वनाश करने जैसा ही है।