Hindi

धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना सही या गलत? जानें प्रेमानंद महाराज से

Hindi

क्या अहिंसा परम धर्म है?

एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से पूछा ‘अहिंसा परम धर्म है, ऐसा है तो राम-रावण का युद्ध और कौरव-पांडवों का युद्ध क्यों हुआ, इस स्थिति में अहिंसा कैसे परम धर्म हो सकती है?’

Image credits: facebook
Hindi

समझें अहिंसा का स्वरूप

प्रेमानंद महाराज ने कहा ‘अहिंसा परम धर्म है, लेकिन हमें अहिंसा का स्वरूप समझना होगा। अहिंसा का अर्थ सिर्फ इतना नहीं कि हम किसी को मन, वचन और कर्म से हानि न पहुंचाएं।

Image credits: facebook
Hindi

दोषी को दंड देना भी अहिंसा

प्रेमानंद महाराज ने कहा ‘यदि हमारे धर्म की हानि हो रही है या हम जिसकी रक्षा कर रहे हैं, कोई उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है तो उसे दंड देना भी अहिंसा ही कहलाएगा।’

Image credits: facebook
Hindi

दंड देने से होता है समाज का भला

प्रेमानंद महाराज ने कहा ‘गलत काम करने वाले को सजा देने के लिए दंड विधान है। और अपराधी को दंड देना भी अहिंसा के अंतर्गत ही आता है। क्योंकि इससे समाज का भला होता है।’

Image credits: facebook
Hindi

इसे हिंसा न समझें

प्रेमानंद महाराज ने कहा ‘अगर कोई पापी ज्यादा समय तक जिएगा तो लोगों को परेशान करेगा। इसलिए उसे सजा देना जरूरी है। ये काम भी अहिंसा ही है, इसे हिंसा नहीं समझें।’

Image credits: facebook
Hindi

दंड देने का काम न्यायपालिका का

प्रेमानंद महाराज ने कहा ‘लेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि हम स्वयं किसी को दंड देने लगें। दंड देने का अधिकार पुरातन समय में राजा को था और वर्तमान समय में न्यायपालिका को।’

Image Credits: facebook