धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना सही या गलत? जानें प्रेमानंद महाराज से
Spiritual Sep 13 2024
Author: Manish Meharele Image Credits:facebook
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क्या अहिंसा परम धर्म है?
एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से पूछा ‘अहिंसा परम धर्म है, ऐसा है तो राम-रावण का युद्ध और कौरव-पांडवों का युद्ध क्यों हुआ, इस स्थिति में अहिंसा कैसे परम धर्म हो सकती है?’
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समझें अहिंसा का स्वरूप
प्रेमानंद महाराज ने कहा ‘अहिंसा परम धर्म है, लेकिन हमें अहिंसा का स्वरूप समझना होगा। अहिंसा का अर्थ सिर्फ इतना नहीं कि हम किसी को मन, वचन और कर्म से हानि न पहुंचाएं।
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दोषी को दंड देना भी अहिंसा
प्रेमानंद महाराज ने कहा ‘यदि हमारे धर्म की हानि हो रही है या हम जिसकी रक्षा कर रहे हैं, कोई उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है तो उसे दंड देना भी अहिंसा ही कहलाएगा।’
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दंड देने से होता है समाज का भला
प्रेमानंद महाराज ने कहा ‘गलत काम करने वाले को सजा देने के लिए दंड विधान है। और अपराधी को दंड देना भी अहिंसा के अंतर्गत ही आता है। क्योंकि इससे समाज का भला होता है।’
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इसे हिंसा न समझें
प्रेमानंद महाराज ने कहा ‘अगर कोई पापी ज्यादा समय तक जिएगा तो लोगों को परेशान करेगा। इसलिए उसे सजा देना जरूरी है। ये काम भी अहिंसा ही है, इसे हिंसा नहीं समझें।’
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दंड देने का काम न्यायपालिका का
प्रेमानंद महाराज ने कहा ‘लेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि हम स्वयं किसी को दंड देने लगें। दंड देने का अधिकार पुरातन समय में राजा को था और वर्तमान समय में न्यायपालिका को।’